Kaal Sarp Dosh Nivaran Puja

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कालसर्प दोष कालसर्प दोष में जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं तो इसे काल सर्प दोष माना जाता है| ज्योतिष शास्त्र में राहु को काल और केतु को सर्प माना जाता है| इन दोनों ग्रहों के कारण, व्यक्ति के महत्वपूर्ण और मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं और उसे तमाम कोशिशों के बाद भी शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है|

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कालसर्प दोष कालसर्प दोष में जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं तो इसे काल सर्प दोष माना जाता है| ज्योतिष शास्त्र में राहु को काल और केतु को सर्प माना जाता है| इन दोनों ग्रहों के कारण, व्यक्ति के महत्वपूर्ण और मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं और उसे तमाम कोशिशों के बाद भी शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है|

 

नाग गायत्री मंत्र:- “ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्|”

 

कालसर्प दोष के लक्षण

  • कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति के रोजगार में तरह-तरह के व्यवधान आना और आय में कमी होना |
  • कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्थिति खराब होना |
  • कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में तनाव और रिश्तों का खराब होना |
  • सोते समय बुरे सपने आना और सपने में खुद को मुसीबत में फंसे देखना कालसर्प दोष का लक्षण है|

 

कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के उपाय

  • कालसर्प दोष के बुरे प्रभाव को भगवान गणेश की पूजा से कष्ट दूर होते हैं।
  • काल सर्प दोष को दूर करने के लिए दान करना भी शुभ माना जाता है।
  • काल सर्प दोष को दूर करने के किसी शिवालय में जाकर शिवलिंग पर तांबे का एक बड़ा सर्प बनवाकर सर्प की प्राण प्रतिष्ठा करके ही शिवलिंग पर चढ़ाएं |

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