Mool Santi Path

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मूल दोष एक ऐसा दोष है जो कम से कम हर चौथे या पांचवें व्यक्ति की कुंडली में पाया जाता है। मूल नक्षत्रों में जन्मे शिशुओं के लिए यह नक्षत्र हमेशा कष्टकारक नहीं होते हैं। यदि कष्टकारक हो तो इनकी शांति कराने से मूल नक्षत्र शुभ फलदायक हो जाते हैं। मूल दोष उन व्यक्तियों को गंभीर नुकसान और समस्याएं पैदा करने में सक्षम होता है जिनकी कुंडली में यह दोष होता है। मूल नक्षत्रों में 6 नक्षत्रों को अशुभ माना जाता है

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मूल दोष एक ऐसा दोष है जो कम से कम हर चौथे या पांचवें व्यक्ति की कुंडली में पाया जाता है। मूल नक्षत्रों में जन्मे शिशुओं के लिए यह नक्षत्र हमेशा कष्टकारक नहीं होते हैं। यदि कष्टकारक हो तो इनकी शांति कराने से मूल नक्षत्र शुभ फलदायक हो जाते हैं। मूल दोष उन व्यक्तियों को गंभीर नुकसान और समस्याएं पैदा करने में सक्षम होता है जिनकी कुंडली में यह दोष होता है। मूल नक्षत्रों में 6 नक्षत्रों को अशुभ माना जाता है

 

मूल दोष मंत्र :- “ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षॅं शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्र्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वॅंशान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि।। ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।।”

 

मूल शान्ति पाठ के लाभ

  • मूल नक्षत्रों की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और शांति मिलती है।
  • व्यक्ति की कुंडली से मूल दोष के प्रभावों को कम करता है।
  • मूल नक्षत्रों की पूजा वैवाहिक जीवन को सफल बनता है।
  • मूल शांति पाठ से जातक के माता-पिता और परिवार के सदस्यों पर अशुभ प्रभाव की संभावना समाप्त हो जाती है।
  • मूल नक्षत्रों की पूजा करने से पीड़ित व्यक्ति के लिए अच्छा स्वास्थ्य, धन और समृद्धि लाती है।
  • मूल शांति पूजा व्यक्ति को आत्मविश्वास प्रदान करता है।

 

मूल शान्ति पाठ का महत्व

  • मूल शांति पूजा व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है।
  • मूल शांति पूजा से व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
  • मूल शांति पूजा से हानिकारक प्रभावों को कम करता है।
  • यह व्यक्ति का सोचने का तरीका, व्यक्तित्व और शारीरिक कद भी तय होता है।
  • यह पूजा भविष्य में आने वाली परेशानियों से मुक्ति दिलाता है और पृथ्वी के हानिकारक प्रभावों को दूर करता है।

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