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दस महाविद्या पूजन का आशय है कि शिव जी द्वारा निर्मित दस महाविद्या (भगवती मां दुर्गा के 10 रूप) को समस्त विद्याओं में श्रेष्ठ एवं दुखों का नाश करने वाला माना गया है। दस महाविद्या का अर्थ होता है, “महान विद्या स्वरूप देवी”। यह महाविद्या स्वरूप मां दुर्गा के 10 रूप है। शक्ति स्वरूप मां दुर्गा के इन दस रूपों की विशेष साधना व पूजन प्रक्रिया को महाविद्याओं की संज्ञा दी गई है। मां के इन स्वरूपों की साधना करने से जातक को सभी भौतिक व सांसारिक सुखों की प्राप्ति तो होती ही है।
दस महाविद्या पूजन का आशय है कि शिव जी द्वारा निर्मित दस महाविद्या (भगवती मां दुर्गा के 10 रूप) को समस्त विद्याओं में श्रेष्ठ एवं दुखों का नाश करने वाला माना गया है। दस महाविद्या का अर्थ होता है, “महान विद्या स्वरूप देवी”। यह महाविद्या स्वरूप मां दुर्गा के 10 रूप है। शक्ति स्वरूप मां दुर्गा के इन दस रूपों की विशेष साधना व पूजन प्रक्रिया को महाविद्याओं की संज्ञा दी गई है। मां के इन स्वरूपों की साधना करने से जातक को सभी भौतिक व सांसारिक सुखों की प्राप्ति तो होती ही है।
दस महाविद्या मंत्र :- “काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी। भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा। बगला सिद्ध विद्या च मातंगी कमलात्मिका एता दश महाविद्या सिद्ध विद्या प्रकीर्तिताः॥”
दस महाविद्या पूजा के लाभ
- दस महाविद्या पूजा साधना के रूप में की जाती है, जिसमें उपासक देवी को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- दस महाविद्या पूजा के माध्यम से सभी प्रकार की शक्ति प्राप्त की जा सकती है।
दस महाविद्या पूजा का महत्व
- दस महाविद्या की पूजा व्यक्ति की नकारात्मक प्रवृत्तियों को नष्ट करने के लिए की जाती है।
- दस महाविद्याओं की पूजा व्यक्ति को ग्रहों के बुरे प्रभाव से भी बचाती है।
- दस महाविद्याओं की पूजा अदालती मामलों में विजय, किसी भी प्रकार की बीमारी को ठीक करने के लिए और प्रतिद्वंद्वियों को परास्त करने के लिए भी की जाती है।