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केतु को छाया ग्रह कहा जाता है| पांचवें और अष्टम भाव का केतु बहुत ही अशुभ परिणाम देता है। केतु घातक दुर्घटनाओं का कारक होता है, जो शारीरिक अपंगता का कारण बनता है। जिस भी कुंडली में केतु अशुभ स्थिति में होता है तो, इसका बुरा असर सीधे तौर पर व्यक्ति के कार्यक्षेत्र, दांपत्य व वैवाहिक जीवन, आदि को प्रभावित करता है। कुंडली में केतु की अशुभता को दूर करने के लिए केतु शांति पूजा की जाती है।
केतु को छाया ग्रह कहा जाता है| पांचवें और अष्टम भाव का केतु बहुत ही अशुभ परिणाम देता है। केतु घातक दुर्घटनाओं का कारक होता है, जो शारीरिक अपंगता का कारण बनता है। जिस भी कुंडली में केतु अशुभ स्थिति में होता है तो, इसका बुरा असर सीधे तौर पर व्यक्ति के कार्यक्षेत्र, दांपत्य व वैवाहिक जीवन, आदि को प्रभावित करता है। कुंडली में केतु की अशुभता को दूर करने के लिए केतु शांति पूजा की जाती है।
केतु मंत्र :- “ॐ क्र केतवे नमः।”
केतु शांति पूजा के लाभ
- जीवन में अचानक घटित होने वाली वाहन दुर्घटनाओं से बचाता है।
- व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
- घर में सुख-शांति बनी रहती है, और व्यक्ति को कामकाज में भी अच्छा धन-लाभ होता है।
- व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है, और स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
केतु ग्रह शांति पूजा का महत्व
- यह पूजा कराने से जातक के कई महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।
- केतु का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
- केतु के शुभ प्रभाव से सभी शारीरिक व मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
- व्यक्ति का रुका कार्य इस पूजा के फलस्वरूप पूरा हो जाता है।