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मांगलिक दोष अर्थात् जातक की जन्मकुंडली के 1, 4 ,7 और 12वें भाव में यदि मंगल ग्रह स्थित हो तो कुंडली में मंगल दोष का निर्माण होता है। ऐसी स्थिति में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है। यह स्थान विवाह के लिए अत्यंत विनाशकारी माना जाता है। जातकों को जीवन में भूमि से संबंधित कार्यों में बाधा आना, कर्जे से मुक्ति न मिलना, रिश्तों में तनाव, काम में असुविधा और व्यक्ति की हानि और असामयिक मृत्यु आदि समस्या परेशान करती हैं।
मांगलिक दोष अर्थात् जातक की जन्मकुंडली के 1, 4 ,7 और 12वें भाव में यदि मंगल ग्रह स्थित हो तो कुंडली में मंगल दोष का निर्माण होता है। ऐसी स्थिति में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है। यह स्थान विवाह के लिए अत्यंत विनाशकारी माना जाता है। जातकों को जीवन में भूमि से संबंधित कार्यों में बाधा आना, कर्जे से मुक्ति न मिलना, रिश्तों में तनाव, काम में असुविधा और व्यक्ति की हानि और असामयिक मृत्यु आदि समस्या परेशान करती हैं।
मंगल मंत्र :- “ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:।”
मांगलिक पूजा के लाभ
- जातक को व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में स्थिरता प्रदान करता है।
- जातक को नौकरी, करियर और जीवन में आ रही विभिन्न प्रकार की बाधाएं भी दूर होती हैं।
- जातक के जीवन में विवाह से संबंधित आने वाली हर समस्या का अंत होता है।
- जातक की शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।
- मांगलिक पूजा क्रोध और हिंसा को नियंत्रित करने में सहायता करती है।
मांगलिक दोष के लक्षण
- विवाह में कई तरह की परेशानियां आना. विवाह में देरी होना और किसी कारण रिश्ता टूट जाना|
- मंगल खराब होने से संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न होता है।
- व्यक्ति को रक्त से जुड़ी बीमारियां होती हैं।
- व्यक्ति का किसी मुक़दमे में फंसना|
- व्यक्ति पर हिंसक स्वभाव का हावी होना|
- विवाह के बाद जीवनसाथी के साथ अच्छा तालमेल न बैठना|